काशी के मशहूर दशाश्वमेध घाट पर जापान के पीएम शिंजो आबे और पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार शाम गंगा आरती देखी।
मोदी-आबे के गंगा आरती में शामिल होने के मायने…
– पहली बार ऐसा हुआ है जब दो प्रधानमंत्री काशी के किसी घाट पर मौजूद रहे।
– 54 साल पहले यहां क्वीन एलिजाबेथ आई थीं।
– यहां दो पीएम की मौजूदगी से वाराणसी को टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में प्रमोट करने में मदद मिलेगी।
– इससे भारतीय संस्कृति की दुनिया में शोकेसिंग में मदद मिलेगी।
– 54 साल पहले यहां क्वीन एलिजाबेथ आई थीं।
– यहां दो पीएम की मौजूदगी से वाराणसी को टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में प्रमोट करने में मदद मिलेगी।
– इससे भारतीय संस्कृति की दुनिया में शोकेसिंग में मदद मिलेगी।
दशाश्वमेध घाट की क्या है अहमियत…
– काशी में 84 घाट हैं। 16 घाट ऐसे हैं जो राजा-महाराजाओं ने बनवाए थे।
– इनमें दशाश्वमेध घाट की सबसे ज्यादा अहमियत है।
– माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने काशी के इसी घाट पर आकर दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। इस वजह से इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।
– आधुनिक इतिहास में काशी नरेश ने यहां बड़े पैमाने पर गंगा आरती शुरू कराई।
– ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान से ज्यादा पुण्य गंगा आरती का साक्षी बनने से मिलता है।
– इनमें दशाश्वमेध घाट की सबसे ज्यादा अहमियत है।
– माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने काशी के इसी घाट पर आकर दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। इस वजह से इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।
– आधुनिक इतिहास में काशी नरेश ने यहां बड़े पैमाने पर गंगा आरती शुरू कराई।
– ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान से ज्यादा पुण्य गंगा आरती का साक्षी बनने से मिलता है।
We are the Uttarkashi Minerals Corporation, is the only company duly licensed, approved and authorized by Uttarakhand Government, to pack the holy Gangajal in its purest form. From drawing of Gangajal from the sacred river Ganges till packing, Gangajal is kept untouched from human hands. Gangajal is not treated chemically in the entire packing process, so that its sanctity is not spoilt. Our motto is to retain our civilization and culture alive, that’s why we are dedicated to provide Gangajal –The holy water to your door step, all over the world…
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