Seven Lakes in Ujjain – Location and Unique Offerings Made at the Seven Holy Spots

Front with 1 pouch
There are seven holy lakes (water bodies or ponds) in Ujjain. Unique offerings are made here. The seven lakes are:

  1. Rudra Sagar
  2. Pushkar Sagar
  3. Kshir Sagar
  4. Govardhan Sagar
  5. Vishnu Sagar
  6. Purushottam Sagar
  7. Ratnakar Sagar

Rudra Sagar is located between Harsiddhi and Mahakaleshwar temples. The main offerings here are salt and idols of Nandi.

Pushkar Sagar is located north of Sakhipur at Nalia Bakhal. The offerings here are yellow cloth and chana ki dal.

Kshir Sagar is located near Yogeshwar Tekri on Nai Sarak. Offerings here include milk, utensils and gold.

Govardhan Sagar is located at nikas chowraka. Offerings here include butter, sugar cakes, pot filled with molasses and red cloth.

Vishnu Sagar is located between Ram Janardan Mandir and Sandipani Ashram. Offerings here are idols of Vishnu, panchapatra, tarbhana and achmani.

Purushottam Saga is located between Idgah and Purushottam temple near Indira Nagar colony. Offering here is Malpua put in a chalni.

Ratnakar Sagar is located at Undasa Village. Clothes of women, cosmetics and pancharatna.

हाईटेक होगा विश्व का सबसे बड़ा मेला,#उज्जैन #सिंहस्थ #2016

उज्जैन में लगने वाला विश्व का सबसे बड़ा मेला, सिंहस्थ 2016 सबसे ज्यादा हाईटेक भी होगा। मेले की पूरी तैयारी में 2480 करोड़ रु. खर्च होंगे। मेला क्षेत्र को हाईटेक बनाने के लिए देशभर की आईटी कंपनियां और विशेषज्ञ दिन-रात जुटे हैं। इस बार साधु-संतों के अखाड़े वाई-फाई और अन्य कई प्रकार की टेक्नोलॉजी से लैस होगें।

श्रद्धालु भी अपने मोबाइल से फ्री में नेट चला सकेंगे….
– विश्व में पहली बार साधु-संतों के अखाड़े वाई-फाई होंगे।
– 150 आश्रमों और अखाड़ों में वाई-फाइ प्वाइंट लगाए जा रहे हैं।
– 50 किमी ऑप्टिकल फाइवर और 45 किमी कॉपर केबल का नेटवर्क डाला जा रहा है।
– कई अखाड़ों में वीडियो सेटअप भी लगाए जा रहे हैं।
– कई साधु-संत अखाड़ों से लाइव स्ट्रीमिंग करेंगे।
– पुलिस के लिए बीएसएनएल 2.5 हजार सीडीएमए फोन उपलब्ध करवाएगा।
– श्रद्धालु भी अपने मोबाइल से फ्री में नेट चला सकेंगे।
– सिंहस्थ में बीएसएनएल 29 नए टॉवर लगा रहा है।
– इनमें से चार चलित टॉवर भी होंगे।
– बीएसएनएल के साथ ही सभी प्राइवेट कंपनियां अपने नेटवर्क सुधारने के लिए टॉवर लगाने के साथ ही एक-दूसरे से शेयरिंग भी कर रही हैं।
– अत्याधुनिक साधनों से लैस होगी पुलिस।
– 47 करोड़ रुपए खर्च होंगे अत्याधुनिक साधनों पर।

उज्जैन सिंहस्थ कुंभ के इस पावन अवसर पर भगवान शिव अभीषेक का पवित्र एवं पावन गंगाजल से करेंके खुद को अनुग्रहित करे।
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साल में एक बार नागपंचमी पर खुलता है इस मंदिर का पट

naag panchmiसनातन धर्म में नागपंचमी को नाग की पूजा का विशेष महत्व है और यही कारण है कि इस दिन नाग मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट साल में एक बार 24 घंटे के लिए सिर्फ नाग पंचमी के दिन खुलते हैं। इस बार पट मंगलवार 18 अगस्त आधी रात यानी 12 बजे खुलेंगे।

नागचंद्रेश्वर का मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर स्थित है। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा स्थापित है। एक प्रतिमा में नाग के फन पर शंकर पार्वती विराजमान हैं और इस प्रतिमा के दर्शन के बाद ही नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि नागपंचमी के मौके पर इस मंदिर के दर्शन से कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है, क्योंकि खुद नागदेवता इस दिन मंदिर में आते हैं।

मंदिर प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार 18 अगस्त रात 12 बजे विशेष पूजा-अर्चना के साथ आम भक्तों के लिए मंदिर के पट खुल जाएंगे और नागचंद्रेश्वर महादेव के लगातार 24 घंटे दर्शन होंगे। मंदिर के पट 19 अगस्त बुधवार की रात 12 बजे बंद होंगे। इस 24 घंटे की अवधि में 2 से 3 लाख श्रद्धालुओं के मंदिर पहुंचने की संभावना है। इसे देखते हुए प्रशासन की ओर से विशेष प्रबंध किए गए हैं।

सावन माह मे भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिये अभीषेक करें पवित्र एवं पावन गंगाजल से।

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भारत देश में 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग है, जिनमें से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है।

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के मध्य प्रदेश के भोपाल राज्य के प्रसिद्ध शहर इंदौर में स्थित है।ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को भोपाल का सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्लिंग माना गया है।यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में पुणे जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के बाद से दक्षिण भारत का प्रवेश प्रारम्भ होता है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाडी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊँ का आकार बनता है। ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्रा के मुख से हुई है। इसका उच्चारण सबसे पहले जगत पिता देव ब्रह्ना जी ने किया था। किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊँ नाम के उच्चारण के बिना नहीं किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊँ का आकार लिए हुए है।इस कारण इसे औंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।ओंकारेश्वर मंदिर में 108 शिवलिंग है तथा यहां 33 करोड देवताओं का निवास होने की मान्यता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में भी 2 ज्योतिर्लिंग है, जिसमें ओंकारेश्वर और दूसरा ममलेश्वर ज्योतिलिंग है।  भारत के कुल 12 ज्योतिर्लिंगों में से दो ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में स्थित है। इसमें से एक उज्जैन में महाकाल है, तथा दूसरा ओंकारेश्वर खण्डवा में है। खण्डवा में ज्योतिर्लिंग के दो स्वरुप है। दोनों स्वरुपों के दर्शन से मिलने वाला पुन्य फल समान है। दोनों को धार्मिक महत्व समान है।
ओंकारेश्वर ज्योतिलिंग स्थापना कथा 
खण्डवा में ज्योतिर्लिंग के दो रुपों की पूजा की जाती है दो रुपों की पूजा करने से संबन्धित एक पौराणिक कथा प्रचलित है एक बार विन्ध्यपर्वत ने भगवान शिव की कई माहों तक कठिन तपस्या की उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर जी ने उन्हें साक्षात दर्शन दिये और विन्ध्य पर्वत से अपनी इच्छा प्रकट करने के लिए कहा, इस अवसर पर अनेक ऋषि और देव भी उपस्थित थे़ विन्ध्यपर्वत की इच्छा के अनुसार भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग के दो भाग किए एक का नाम ओंकारेश्वर रखा तथा दूसरा ममलेश्वर रखा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को स्वयं भगवान शिव ने स्थापित किया हैयहां जाने के लिए श्रद्वालुओं को दो कोठरीयों से होकर जाना पडता है और इन कोठरियों में अत्यधिक अंधेरा रहता है इन कोठरियों में सदैव जल भरा रहता है श्रद्वालुओं को इस जल से ही होकर जाना पडता है  भगवान शिव के उपासक यहां भगवान शिव का पूजन चने की दाल चढाकर करते है रात्रि में भगवान शिव का पूजन और रात्रि जागरण करने का अपना एक विशेष महत्व है शिवरात्रि पर यहां विशेष मेलों का आयोजन किया जाता है इसके अतिरिक्त कार्तिक मास में पूर्णिमा तिथि मे भी यहां बहुत बडे मेले का आयोजन किया जाता है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में पांच केदारों के दर्शन करने के समान फल प्राप्त होता है यहां दर्शन करने से केदारनाथ के दर्शन करने के समान फल मिलता है
सावन माह मे भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिये अभीषेक करें पवित्र एवं पावन गंगाजल से करें।
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भारत देश में 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग है, जिनमें से महाकालेश्वरज्योतिर्लिंग एक है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

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यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहने जाने वाले उज्जैन शहर में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैनवासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।

कहते हैं शिव के अनेक रूप हैं। शिव की आराधना करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। श्रावण मास में तो शिव की आरधना अति फलदायी होती है। भगवान शिव देशभर में अनेक स्थानों परज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। भारत देश में 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग है, जिनमें से महाकालेश्वरज्योतिर्लिंग है।

भारत के हृदयस्थल मध्यप्रदेश के उज्जैन में पुण्य सलिला शिप्रा के तट के निकट भगवान शिव ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ के रूप में विराजमान हैं। महाराजा विक्रमादित्य के न्याय की नगरी उज्जयिनी में भगवान महाकाल की असीम कृपा है। देशभर के बारह ज्योतिर्लिंगों में ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ का अपना एक अलग महत्व है। कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। महाकाल के बारे में तो यह भी कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है। महाकाल की महिमा का वर्णन इस प्रकार से भी किया गया है –

आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् ।
भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥

इसका तात्पर्य यह है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है।
उज्जैन का सिंहस्थ मेला बहुत ही दुर्लभ संयोग लेकर आता है इसलिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन यहाँ दस दुर्लभ योग होते हैं, जैसे : वैशाख माह, मेष राशि पर सूर्य, सिंह पर बृहस्पति, स्वाति नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा आदि।

उज्जैन का इतिहास 

उज्जैन की प्रसिद्धि सदियों से एक पवित्र व धार्मिक नगर के रूप में रही है। लंबे समय तक यहाँ न्याय के राजा महाराजा विक्रमादित्य का शासन रहा। महाकवि कालिदास, बाणभट्ट आदि की कर्मस्थली भी यही नगर रहा। श्रीकृष्ण की शिक्षा भी यहीं हुई थी।

दैवज्ञ वराहमिहिर की जन्मभूमि, महर्षि सांदीपनि की तपोभूमि, भर्तृहरि की योगस्थली, हरीशचंद्र की मोक्षभूमि आदि के रूप में उज्जैन की प्रसिद्धि रही है। उज्जैन का वर्णन कई ग्रंथों व पुराणों जैसे शिव महापुराण, स्कंदपुराण आदि में हुआ है।

महाकालेश्वर मंदिर 

महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहाँ कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। मंदिर में प्रवेश करने के लिए मुख्य द्वार से गर्भगृह तक की दूरी तय करनी पड़ती है। इस मार्ग में कई सारे पक्के चढ़ाव उतरने पड़ते हैं परंतु चौड़ा मार्ग होने से यात्रियों को दर्शनार्थियों को अधिक ‍परेशानियाँ नहीं आती है। गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए पक्की सीढ़ियाँ बनी हैं।

मुख्य आकर्षण 

महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य आकर्षणों में भगवान महाकाल की भस्म आरती, नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है। प्रतिदिन अलसुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है लेकिन आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म का उपयोग किया जाता है परंतु आज भी यही कहा जाता है कि यदि आपने महाकाल की भस्म आरती नहीं देखी तो आपका महाकालेश्वर दर्शन अधूरा है।
उज्जैन का सिंहस्थ मेला बहुत ही दुर्लभ संयोग लेकर आता है इसलिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन यहाँ दस दुर्लभ योग होते हैं, जैसे : वैशाख माह, मेष राशि पर सूर्य, सिंह पर बृहस्पति, स्वाति नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा आदि।

प्रति बारह वर्ष में पड़ने वाला कुंभ मेला यहाँ का सबसे बड़ा मेला है, जिसमें देश-विदेश से आए साधु-संतों व श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित प्राचीन व चमत्कारी नागचंद्रेश्वर मंदिर वर्ष में एक बार केवल नागपंचमी को ही श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला जाता है। यहाँ हर वर्ष श्रावण मास में भगवान महाकाल की शाही सवारी निकाली जाती हैं।

हर सोमवती अमावस्या पर उज्जैन में श्रद्धालु पुण्य सलिला शिप्रा स्नान के लिए पधारते हैं। फाल्गुनकृष्ण पक्ष की पंचमी से लेकर महाशिवरात्रि तक तथा नवरात्रि महोत्सव पर यहाँ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के विशेष दर्शन, पूजन व रूद्राभिषेक होता है।

यहाँ का सिंहस्थ मेला

सिंहस्थ मेले के बारे में यह कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन के पश्चात देवता अमृत कलश को दानवों से बचाने के लिए वहाँ से पलायन कर रहे थे, तब उनके हाथों में पकड़े अमृत कलश से अमृत की बूँद धरती पर जहाँ-जहाँ भी गिरी थी, वो स्थान पवित्र तीर्थ बन गए। उन्हीं स्थानों में से एक उज्जैन है। यहाँ प्रति बारह वर्ष में सिंहस्थ मेला आयोजित होता है।

उज्जैन का सिंहस्थ मेला बहुत ही दुर्लभ संयोग लेकर आता है इसलिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन यहाँ दस दुर्लभ योग होते हैं, जैसे : वैशाख माह, मेष राशि पर सूर्य, सिंह पर बृहस्पति, स्वाति नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा आदि।

उज्जैन में और भी 

भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन व उसके आसपास के गाँवों में कई प्रसिद्ध मंदिर व आश्रम है, जिनमें चिंतामण गणेश मंदिर, कालभैरव, गोपाल मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, त्रिवेणी संगम, सिद्धवट, मंगलनाथ,इस्कॉन मंदिर आदि प्रमुख है। इन स्थानों पर पहुँचने के लिए महाकालेश्वर मंदिर से बस व टैक्सी सुविधा उपलब्ध है।

सावन माह मे भगवान शिव का अभीषेक पवित्र एवं पावन गंगाजल से करें।

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